Blog-2 ब्रह्मा कुमारीज़ संस्था से निकली हुई संस्थाओ की वास्तविकता



ब्रह्मा कुमारीज़: भगवान की संस्था या इंसानों का सृजन ?


परिचय

ब्रह्मा कुमारीज़ संस्था दावा करती है कि इसकी स्थापना और संचालन स्वयं भगवान द्वारा किया जाता है। लेकिन इस दावे पर बारीकी से नज़र डालना कई विसंगतियों और चौंकाने वाली सच्चाइयों को सामने लाता है। इस ब्लॉग में, हम ब्रह्मा कुमारीज़ की उत्पत्ति, विवादास्पद मान्यताओं और इसके विभिन्न गुटों के बीच के विभाजन को उजागर करेंगे। हम इस बात पर विचार करेंगे कि क्या यह संस्था वास्तव में एक ईश्वरीय रचना है या क्या यह मानव महत्वाकांक्षाओं और भ्रमों से भरा पथ है।

संस्था का एक संक्षिप्त इतिहास

  • स्थापना: 1936  में, दादा लेखराज (जिन्हें बाद में ब्रह्मा बाबा के नाम से जाना गया) सिंध हैदराबाद, जो की वर्तमान में,पाकिस्तान देश मे है । वहाँ पर सत्संग शुरू किए, जिसमे आसपास के कई लोग आने लगे और धीरे धीरे इनकी संख्या बढ़ती गई । और उस समय जिसे ओम मंडली के नाम से जाना जाता है।

  • विवाद और नाम परिवर्तन: ओम मंडली संदिग्ध गतिविधियों के चलते स्थानीय समुदाय के विरोध का सामना करती है और उस पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। नाम बदलकर "प्रजापति ब्रह्मा कुमारीज़" कर दिया गया।

  • भारत में स्थानांतरण: भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद, संस्था राजस्थान के माउंट आबू में स्थानांतरित हो जाती है और आधिकारिक तौर पर "प्रजापिता ब्रह्मा कुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय" के नाम से जानी जाने लगती है।

वैचारिक मतभेद और विभाजन

यह विचार करना काफी महत्वपूर्ण है कि अगर ब्रह्मा कुमारियों की स्थापना स्वयं भगवान ने की थी, जैसा कि वे दावा करते हैं, तो संस्था के भीतर बार-बार मतभेद और बिखराव क्यों हैं?

  • आध्यात्मिक ईश्वरीय विश्व विद्यालय (शंकर पार्टी): 1976 में, विरेन्द्र देव दीक्षित, जो ब्रह्मा कुमारीज़ से जुड़े थे, उन्होंने अपनी अलग संस्था "आध्यात्मिक ईश्वरीय विश्व विद्यालय" (शंकर पार्टी) की स्थापना की। विरेन्द्र देव दीक्षित का दावा था कि दादा लेखराज के शरीर से  जिस तरह भगवान बोलते थे, उसी तरह अब भगवान उनके शरीर से बोलते हैं। यह दावा ब्रह्मा कुमारीज़ ने स्वीकार नहीं किया और उन्हें संस्था से निकाल दिया गया।

  • विश्व परिवर्तक ईश्वरीय विद्यालय (विष्णु पार्टी): 1997 में, दशरथ पटेल ने भी ब्रह्मा कुमारीज़ को त्याग दिया और इस विश्वास के साथ अपनी संस्था शुरू की कि अब भगवान का अवतरण उनके शरीर में हो चुका है। और भगवान उनके द्वारा कार्य कर रहें है। 

  • ओम मंडली शिव शक्ति अवतार सेवा संस्थान: 2017 में, दादी गुलज़ार (ब्रह्मा कुमारीज़ की मुख्य नेता) का निधन हो गया। ब्रह्मा कुमारीज़ का यह मानना है कि 1969 में दादा लेखराज के देहांत के बाद, भगवान दादी गुलज़ार के शरीर में प्रवेश करते थे और ज्ञान सुनाते थे। लेकिन दादी गुलज़ार के जाने के बाद, देवकी बहन नाम की एक महिला ने दावा किया कि भगवान अब उनके शरीर में प्रवेश करते हैं, और दादा लेखराज भी ! यह दावा ब्रह्मा कुमारीज़ के लिए अस्वीकार्य था, और देवकी बहन को संस्था से निकाल दिया गया। नतीजतन, देवकी बहन ने अपनी नई संस्था "ओम मंडली शिव शक्ति अवतार सेवा संस्थान" की स्थापना की।



ईश्वर से संबंधित विरोधाभासी दावे

ब्रह्मा कुमारीज़ और उसके अलग हुए गुटों का एक मूल दावा यह है कि उनके 'माध्यम' के रूप में चुने गए व्यक्ति के शरीर में भगवान (शिव) का प्रवेश होता है। यहाँ विरोधाभास यह है:

  • किस पर करें विश्वास? सभी गुट अपने-अपने ज्ञान को एकमात्र सत्य और दूसरों के ज्ञान को झूठा घोषित करते हैं। अगर भगवान सही में संदेश पहुंचा रहे होते, तो इतनी परस्पर विरोधी विचारधारा कैसे उभरती?
  • भगवान की अक्षमता: क्या यह संभव है कि सर्वशक्तिमान भगवान इतने भ्रमित, दिशाहीन, या कमज़ोर हों कि वह एकजुट संदेश देने और अपने संस्थाओं के बीच समन्वय स्थापित करने में विफल रहें?

मानव महत्वाकांक्षा का प्रश्न

जो संस्थाएँ खुद को ईश्वर-प्रेरित बताती हैं, उन्हें किसी सांसारिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता की भलाई के लिए कार्य करना चाहिए। ब्रह्मा कुमारीज़ मामले में, इन सवालों को उठाना बहुत जरूरी है:

  • नेतृत्व की लड़ाइयाँ: क्यों हर अलग हुआ गुट खुद को सर्वोच्च मानता है? क्या यह ईश्वरीय गुण है या मानवीय अहंकार का लक्षण?
  • अनुयायियों से शोषण: भौतिक संपत्ति का दान, कठोर जीवनशैली अपनाने के लिए दबाव, और परिवार को  तोड़ने के आरोपों के क्या मायने हैं? क्या सच्ची आध्यात्मिकता भौतिक चीजों से आसक्ति हटाने पर नहीं, उन्हें हथियाने के प्रयासों पर आधारित होती है?

ज़िम्मेदारी हमारी अपनी

यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम भावनात्मक लगाव के बजाय तार्किक मूल्यांकन पर आधारित होकर संस्थाओं को परखें।

याद रखें, आपके प्रश्न पूछने का अधिकार है! अंधभक्ति और ईश्वर के नाम पर हो रहे शोषण को बढ़ावा देने से बेहतर है कि हम अपनी सजगता और समझ से सत्य की खोज का प्रयास करें।

इन स्रोतों से अधिक जानकारी प्राप्त करें:

  • पूर्व सदस्यों के अनुभव: ऐसे कई ऑनलाइन फ़ोरम हैं जहाँ ब्रह्मा कुमारीज़ और उसके गुटों को छोड़ने वालों ने अपने विचार साझा किए हैं। http://brahmakumaris.info/
  • आलोचनात्मक वेबसाइटें: कुछ वेबसाइटें विशेष रूप से ब्रह्मा कुमारीज़ की मान्यताओं और प्रथाओं के तार्किक पक्ष की जांच करती हैं। http://brahmakumaris.info/





अतिरिक्त जानकारी और मदद

मुझसे ईमेल: official@cultsurvivor.org या फोन: (+91) 7417638112 पर संपर्क करें।

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धन्यवाद!

डॉ. विनय चौधरी

Comments

  1. Filler atmaon ek to baba ko chhor kar maha pap kor chuke ho क्यूँ ki BK बनना कोई masi ka ghar nehin उसके upar sanstha ka yani baba ki ninda karrahe ho. Jara saram karo besarmio buddhuon. Srimat pe chalne ki oukat hi nehin hai tumlogon ko..himmat hai to ma ki dudh piya hai to muslim bhaion ki badnam ninda karke dekhao ..phir samajh jaoge tum kya ho.. Sanatan dharm ki ninda tum logon ko bhari parnewale samaj lena, manniya ex President APJ Adul Kalamji, President Droupati Murmu ji and itne sare mahanubhawon ne budhhu hai ek tumlogon hi sahi hai, abhi bhi samay hai samhal jao chhoro esab, tumhe sahi nehi laga to na sahi par logon ki bhawnaon ko nast kiu karraha ho duston...jara daro upni kiye par..om Shanti uplogon ka bhala ho...

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  2. Masi pasand nahi aai to unkay yaha aana jana band,aap daro dharam raj sai,meray yaha dharam raj hai hi nahi

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